दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का महत्वपूर्ण झारसुगुड़ा-बिलासपुर-रायपुर-नागपुर सेक्शन होगा “कवच सुरक्षा तकनीक” के दायरे में ।

June 28, 2024, 9:18 PM
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दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का महत्वपूर्ण झारसुगुड़ा-बिलासपुर-रायपुर-नागपुर सेक्शन होगा “कवच सुरक्षा तकनीक” के दायरे में ।

इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने से टक्कर नहीं होगी ।

भारतीय रेलवे ने चलती हुई ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “कवच”नामक एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली विकसित की है । यह पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है । यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबन्धित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतया सक्षम है ।

ट्रेनों का संचालन मुख्यतया स्टेशन पर विद्यमान परिचालन प्रणाली एवं ट्रेन ड्राइवरों द्वारा किया जाता है । अतः ट्रेनों की सुरक्षा की सर्वाधिक ज़िम्मेदारी स्टेशनों केस्टेशन मास्टर एवं ट्रेन ड्राइवरों पर है । स्टेशन मास्टर से ट्रेनोंके परिचालन में कोई गलती न हो यह सिग्नल एवं दूरसंचार सिस्टम की इंटरलॉकिंग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है । किन्तु मानवीय भूलों के लिए ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी ।ऐसी स्थिति में “कवच” (ट्रेन कोलाईजन एवोइडेंस सिस्टम) प्रणाली ट्रेन ड्राइवरों की मदद के लिए एक विश्वसनीय साथी है । यदि ड्राइवर कहीं स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो “कवच” प्रणाली “ब्रेक इंटरफेस यूनिट” द्वारा ट्रेन को स्वचालित रूप से कंट्रोल कर लेती है ।

इस प्रणाली में पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्यूनिकेशन स्थापित किया जाता हैतथा सभी स्टेशनों व सभी इंजिनों में डिवाइस लगाई जाती है जिससे ट्रेन का इंजिन सम्पूर्ण ट्रैक में लगे हुए रेडियो फ्रिक्वेन्सी टैग द्वारा ट्रैक व सिग्नल से संबन्धित विवरण प्राप्त करता है । इंजिन में स्थित डिवाइस (लोको यूनिट) स्टेशन के इंटरलाकिंग सिस्टम, सिग्नल के निर्देश और समपार फाटकों से विवरण लेती है और कंप्यूटरीकृत प्रणाली के निर्देशानुसारट्रेन का संचालन सुरक्षित गति से करती है । अर्थात ट्रेन की गति सिग्नल की स्थिति-पोजीशन के साथ इंटरलॉक होती है ।

यह प्रणाली ड्राइवर के केबिन में लाइन-साइड सिग्नल के आस्पेक्ट को दोहराती है, जिससे घने कोहरे, बरसात जैसे कठोर मौसम के दौरान भी ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित होगी । यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तो भी यह प्रणाली स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में मदद करती है । यह प्रणाली संचालन प्राधिकरण (मूविंग ओथोरिटी) के निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करती है एवं लोको को सीधे टकराव से बचने में, लोको में स्थित संचार माध्यम द्वारा, सक्षम बनाती है ।

“कवच” प्रणाली द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य विशेषताओं में समपार (लेवल क्रासिंग) फाटकों पर ऑटो सीटी बजाना और विषमता की स्थिति में या जोखिम के मामले में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए ऑटो/मेनुअल “एसओएस” प्रणाली को तुरंत सक्रिय करना शामिल है जिससे कि आसपास के क्षेत्र में सभी ट्रेनों का संचालन तुरंत रुक जाता है ।

‘कवच’ प्रणाली दवारा ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने से टक्कर नहीं होगी ।खास बात ये है कि इस तकनीक को देश में तैयार किया गया है ।माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मार्च 2022में कवच सुरक्षा तकनीक का सफल जीवंत परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया था ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन को कवच परियोजना के लिए चिन्हित किया गया है, जिसके अनुमोदन के लिए प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है । प्रस्ताव स्वीकृति पश्चात नागपुर-रायपुर-बिलासपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन में कवच सुरक्षा तकनीक स्थापित करने का कार्य शुरू किया जाएगा ।

   
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