भारतीय रेल जल्द बनेगी विश्व की पहली ग्रीन रेलवे, जानिए क्या क्या बदलेगा

June 5, 2021, 2:10 PM
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भारतीय रेल (Indian Railways) दुनिया में सबसे बड़ी हरित रेलवे बनने के लिए मिशन के रूप में काम कर रही है. रेलवे साल 2030 से पहले “शून्य कार्बन उत्सर्जक” बनने की दिशा में बढ़ रही है. रेलवे नए भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करन के क्रम में पर्यावरण अनुकूल, दक्ष, किफायती, समयनिष्ठ और यात्रियों के साथ-साथ माल की आधुनिक वाहक बनने की राह पर चल रही है. भारतीय रेल व्यापक विद्युतीकरण, जल और कागज संरक्षण, रेलवे की पटरियों पर जानवरों को घायल होने से बचाने से जुड़े कदमों से पर्यावरण के प्रति मददगार हो रही है.

2014 के बाद से रेल विद्युतीकरण लगभग 10 गुना बढ़ गया है, जो पर्यावरण अनुकूल है. इससे प्रदूषण बढ़ता है. विद्युतीकरण के आर्थिक लाभों को तेजी से प्राप्त करने के लिए, रेलवे ने ब्रॉड गेज रूटों के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के लिए दिसंबर, 2023 तक विद्युतीकृत संतुलित ब्रॉड गेज (BG) रूट तैयार करने की योजना बनाई है.

हरित परिवहन नेटवर्क
हेड-ऑन-जनरेशन सिस्टम, जैव शौचालय और एलईडी लाइट ट्रेन को यात्रा के ऐसे बेहतर साधन में बदलते हैं, जो यात्रियों के लिए आरामदेह के साथ ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी हो. इंडियन रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स को दीर्घ कालिक कम कार्बन रोडमैप के साथ एक कम कार्बन हरित परिवहन नेटवर्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. जो उसे ज्यादा ऊर्जा दक्ष और कार्बन अनुकूल तकनीकों, प्रक्रियाओं व अभ्यासों को अपनाने में सक्षम बनाते हैं.

रेल से आवाजाही पर्यावरण के लिए अनुकूल
भारतीय रेलवे ने दो समर्पित मालभाड़ा गलियारा परियोजनाओं- लुधियाना से दनकुनी (1,875 किमी) तक पूर्वी गलियारा (EDFC) और दादरी से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (1,506 किमी) तक पूर्वी गलियारा (WDFC) को कार्यान्वित कर रहा है. ईडीएफसी के सोननगर-दनकुनी (538 किमी) भाग को सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मोड में लागू करने की योजना बनाई गई है.

भारतीय रेलवे का नेटवर्क और उसकी पहुंच ने महामारी में खाद्यान्न और ऑक्सीजन जैसे माल की आवाजाही को सक्षम बनाया. यह सड़क परिवहन की तुलना में ज्यादा पर्यावरण अनुकूल है.

हरित प्रमाणन और पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली का कार्यान्वयन
भारतीय रेलवे और भारतीय उद्योग परिसंघ के बीच रेलवे पर हरित पहलों की सहूलियत के लिए जुलाई, 2016 में MoU पर हस्ताक्षर हुए थे. 39 कार्यशालाओं, 7 उत्पादन इकाइयों, 8 लोको शेड और एक स्टोर डिपो को ‘ग्रीनको’ प्रमाणन हासिल हो चुका है. इनमें 2 प्लेटिनम, 15 गोल्ड और 18 सिल्वर रेटिंग शामिल हैं.

कुछ हुए बदलाव और आगे पूरी तरह से बदल जाएगा
हरित प्रमाणन में मुख्य रूप से ऊर्जा संरक्षण उपायों, नवीनीकृत ऊर्जा का उपयोग, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी, जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन, सामग्री संरक्षण, पुनर्चक्रीकरण आदि जैसे पर्यावरण को सीधा प्रभावित करने वाले मानकों के आकलन को शामिल किया जाता है. 19 रेलवे स्टेशनों ने भी 3 प्लेटिनम, 6 गोल्ड और 6 सिल्वर रेटिंग के साथ हरित प्रमाणन हासिल कर लिया है.

रेलवे के 27 अन्य भवन, कार्यालय, परिसर और अन्य प्रतिष्ठानों को भी 15 प्लेटिनम, 9 गोल्ड और 2 सिल्वर रेटिंग सहित हरित प्रमाणन मिल चुका है. इसके अलावा, पिछले दो साल में 600 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों को पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के कार्यावयन के लिए आईएसओ- 14001 के कार्यान्वयन के लिए प्रमाणित किया जा चुका है. कुल 718 स्टेशनों की आईएसओ 14001 के लिए पहचान की गई है.

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जोर
रेलवे और अनुषंगी इकाइयों द्वारा प्रकाशित पर्यावरण स्थायित्व रिपोर्ट हर साल रणनीतियों का वर्णन करने वाले दस्तावेज तैयार करती है. इसमें जलवायु परिवर्तन, प्रमुख मुद्दे व उनसे निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर दिया जाता है. इससे रेलवे को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता, यूएन सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं जैसी सरकार की प्रतिबद्धताओं को समर्थन देने में सहायता मिलती है.

Source – TV9

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