रेलवे स्प्रिंग कारखाना पर सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच का छापा

October 25, 2019, 9:37 AM
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मध्य प्रदेश में ग्वालियर से करीब 12 किमी दूर सिथौली स्थित रेलवे के स्प्रिंग कारखाने पर गुरुवार को सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच एवं रेलवे की विजीलेंस यूनिट प्रयागराज की टीम ने संयुक्त रूप से छापामार कार्रवाई की। टीम के निशाने पर मुख्य रूप से जनरेटर खरीदी एवं कबाड़ की नीलामी की फाइलें थी।

10 करोड़ में खरीदे गए जनरेटर को कबाड़ की तरह एक कोने में रखा गया था। सूत्रों के अनुसार, डिप्टी जनरल मैनेजर (डीजीएम) एवं पर्सनल ऑफिसर से पूछताछ की जा रही है। हालांकि, एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से मामले में कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है।

रेलवे स्प्रिंग कारखाने में आर्थिक अनियमितताओं को लेकर सीबीआई को कई शिकायतें मिली थीं। इसमें उत्पादन प्रभावित होने वाली शिकायतें भी थीं। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच की 25 सदस्यीय टीम गुरुवार दोपहर 12 बजे रेलवे स्प्रिंग कारखाने में पहुंची और जनरेटर खरीदी एवं कबाड़ की नीलामी संबंधित फाइलें जब्त की। खरीदी की फाइलों की भी जांच की जा रही है।

कंप्यूटर डाटा की पड़ताल से यह पता किया जा रहा है कि पिछले 6-7 साल में नीलाम किए गए कबाड़ की प्रक्रिया क्या रही है। जनरेटर का कितना और कब-कब उपयोग हुआ है। कार्रवाई के दौरान कारखाने के कर्मचारियों को दूर रखा गया। कारखाने के बाहर तैनात आरपीएफ को भी अंदर चल रही कार्रवाई की कोई जानकारी नहीं थी।

इसलिए हुई कार्रवाई

कारखाने में डीजीएम एसके गुप्ता करीब छह साल तक पदस्थ रहे थे। जब रेलवे ने ट्रांसफर किया तो जुगाड़ लगाकर दोबारा स्प्रिंग कारखाने में पहुंच गए। सीबीआई को यहां आर्थिक अनियमितताओं को लेकर शिकायतें पहले से मिल रही थीं, इसलिए डीजीएम के दोबारा यहां पदस्थ होते ही जांच एजेंसी सतर्क हो गई। सीबीआई ने डीजीएम गुप्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की।

जांच में पता चला कि कारखाने में 10 करोड़ के उच्च गुणवत्ता के जनरेटर खरीदे गए थे। इसे लेकर तर्क दिया गया था कि यहां अक्सर बिजली की लाइन ब्रेक होती है। प्रोडक्शन प्रभावित नहीं हो, इसलिए जनरेटर की खरीदी जरूरी है। चौंकाने वाली बात ये है कि जनरेटर का उपयोग किया ही नहीं गया और इन्हें कबाड़ की तरह एक कोने में डाल दिया गया।

फैक्टरी को घाटा

रेलवे स्प्रिंग कारखाने की स्थापना 1989 में हुई थी। यह देश के सबसे बेहतरीन स्प्रिंग कारखानों में शामिल है। यहां पर हैली केल हॉट क्वाइल स्प्रिंग बनाई जाती है। जिसका उपयोग सामान्य के साथ ही एलएचवी कोच में भी होता है। बेहतरीन क्वालिटी की स्प्रिंग का निर्माण एवं बहुत ज्यादा मांग होने के बाद भी फैक्टरी का घाटे में जाना रेलवे एवं सीबीआई को गले नहीं उतर रहा था। यह प्लांट एलपीजी से संचालित होता है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को प्राथमिक जांच में पता चला कि डीजीएम के कुप्रबंधन के कारण ही फैक्टरी घाटे में जा रही है।

Source – Nai Duniya 

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