गरज उठे मुगलसराय यार्ड में खड़े 101 इंजन – सलामी 15 अगस्त को

August 12, 2022, 10:35 PM
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गरज उठे मुगलसराय यार्ड में खड़े 101 इंजन – जोशीली सलामी, 15 अगस्त को

वाराणसी : 14 अगस्त 1947 की आधी रात जब घड़ी की सुइयां 12 के अंक पर एकाकार हुई तो मुगलसराय जंक्शन के यार्ड में खड़े 101 इंजनों के भोंपू एक साथ चिंघाड़ उठे। यह जोशीली सलामी थी 15 अगस्त को जो चिरप्रतीक्षित आजादी का अनमोल उपहार लिए आधी रात द्वार पर आ खड़ा हुआ था। आजादी के खैरमकदम का यह नायाब तरीका रेल कर्मियों की दिमागी कसरत का नतीजा था जो आउट स्टेशनों की रवानगी की मजबूरी के चलते स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पा रहे थे। पुराने लोग बताते हैं कि इंजनों की यह हुंकार कोसों कोस तक सुनी गई और आजादी की आमद से लोगों को गद्गद कर गई।

वाराणसी में आधी रात को भी मेले का माहौल था। टोले-मुहल्लों से निकले छोटे-बड़े जुलूस नारे लगाते-गीत गाते और तिरंगा लहराते टाउनहाल की ओर बढ़ रहे थे जहां आजादी के पहले कदम के स्वागत में मुख्य समारोह आयोजित था।

बगल में मैदागिन के कंाग्रेस कार्यालय पर तो मानों भीड़ ठाठें मार रही थी। दुल्हन की तरह सजे भवन से लेकर सामने की सड़क तक फूलों की पंखुड़ियों की कालीन बिछी थी। भीड़ के शोर की वजह से लाउडस्पीकर पर कार्यालय से प्रसारित की जा रही सूचनाएं सुन पाना मुहाल हुआ जाता था। आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार था। आधी रात का बजर बजते ही आकाश जोशीले नारों से गूंज उठा। महताबी रोशनी में लोगों ने सामने देखा तो टाउनहाल के शीर्ष पर तिरंगा पूरी शान से फहराता नजर आया।

दस्तावेज गवाह हैं कि उस रात शहर पूरी रात सोया नहीं। नेताओं के भाषण सुनते सुनते ही कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला।

सुबह का नजारा भी रात से कम दिलकश नहीं था। चौक-चौबारों और चबूतरों से गूंजती शहनाइयों की मंगल ध्वनि लोगों को झूमने पर मजबूर कर रही थी। मुहल्ले प्रभात फेरियों के आने जाने से रजगज थे। सारा दिन लोग, खासकर बच्चे व नौजवान एक अजीब सी धुनकी में हाथों में तिरंगा लिए इधर से उधर बस टहलते रहे। कहीं जुलूस तो कहीं परेड, कहीं मिठाइयों से भरी परातें तो कहीं ठंढई से भरे कुल्हड़। कहां जाएं कहां छोड़ें के असमंजस में शाम हो गई।

बेचारे मन मसोस कर रह गए

यह विडंबना ही रही कि शहर के चौक अैार दशाश्वमेध थाना क्षेत्रों से जुड़े कुछ मुहल्लों के रहनवार आजादी के इस जश्न में शामिल न हो पाने की टीस के साथ मन मसोस कर रह गए। दुर्भाग्य से ये क्षेत्र लीगी तत्वों की हरकतों की वजह से दंगों की चपेट में थे। 15 अगस्त को यहां क‌र्फ्यू लागू था।

 

   
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