रेडियो तरंगें बताएंगी कहां है रेल का कोच

December 21, 2017, 4:22 PM
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यात्री व मालगाड़ी कोच पर निगरानी रखने के लिए रेलवे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन बनाने जा रहा है। इसके लिए 57.60 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की है। इससे चलती ट्रेन में नजर रखी जा सकती है। यात्री इंटरनेट द्वारा ट्रेन को देख पाएंगे। साथ ही किस रेल मंडल का कोच कहा पहुंच गया है। इसकी भी जानकारी की जा सकेगी। इससे रेल प्रशासन को आसानी होगी। रेलवे बोर्ड की रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआइ) सिस्टम तैयार करने के लिए 57.60 करोड़ खर्च करने की योजना है।
वर्तमान में एक स्टेशन के दूसरे स्टेशन के बीच ट्रेन या मालगाड़ी कहां चल रही है। इसकी जानकारी रेलवे प्रशासन को नहीं होती है। बीच रास्ते में हादसा होने पर समय से सूचना नहीं मिल पाती है। इसके अलावा ट्रेनों के चलने की सही जानकारी अपडेट नहीं होती है। रेलवे प्रशासन दूरी और ट्रेन की गति के अनुमान के आधार पर ट्रेन चलने का समय निर्धारित करता है। एक जोन की मालगाड़ी की बोगी दूसरे जोन में चल जाती है। उसका खोजना कठिन होता है। अब इसकी निगरानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआइ) सिस्टम से हो सकेगी। यह सिस्टम प्रत्येक बोगी की प्रत्येक क्षण की जानकारी रखेगा। रेल प्रशासन इसी सिस्टम के माध्यम से यात्रियों को ट्रेनों के चलने की वास्तविक जानकारी देने का काम करेगा। इससे वास्तविक समय का पता चलेगा और यात्री इंटरनेट के माध्यम से ट्रेन को चलते हुए देख पाएंगे।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
ट्रेन व मालगाड़ी की बोगी में चिप लगेगी। बोगी व चिप का एक ही नंबर होगा। चिप सिस्टम के सर्वर से जुड़ी रहेगी। यह सर्वर प्रत्येक जोन व मंडल मुख्यालय पर अलग-अलग स्थापित होगा। इसके काम करने के बाद ट्रेन संख्या के साथ कम्प्यूटर में इंजन संख्या, कोच संख्या भरा जाएगा, तभी सिस्टम चलती ट्रेन की जानकारी देगा। मालगाड़ी में बोगी संख्या भरने की आवश्यकता नहीं होगी। आने वाले समय में रेलवे इस सिस्टम को अपग्रेड कर अन्य जानकारी प्राप्त कर सकता है। मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के लिए रेल बजट में स्वीकृति दी गई है। इसके लिए बजट भी आवंटित हो गया है। इस काम को रेलवे बोर्ड अपने स्तर से कराएगा।
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